राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन

जसपाल नेगी

डॉ. बी. जी. आर. परिसर, पौड़ी, एच. एन. बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय में दिनांक 31 अक्तूबर 2025 को राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ परिसर निदेशक प्रो. यू. सी. गैरोला द्वारा दीप प्रज्वलित एवं पुष्प अर्पित कर किया गया।

इस अवसर पर वक्ताओं ने भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को स्मरण करते हुए राष्ट्र की एकता, अखंडता और निर्माण में उनके अद्वितीय योगदान को स्मरण किया।

माधव (बी.ए. प्रथम वर्ष) के छात्र ने सरदार पटेल जी के जीवन पर विस्तार से जानकारी दी। और बताया कि सरदार पटेल ने किस प्रकार 1945 के दौरान कांग्रेस में मंत्री के रूप में कार्य किया और स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री के रूप में देश की एकता के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया।

डॉ. सपना (सहायक प्रोफेसर) ने कहा कि आज हम जिस भारत को एक सशक्त और एकीकृत राष्ट्र के रूप में देख रहे हैं, उसका पूरा श्रेय सरदार पटेल जी को जाता है। उन्होंने बताया कि 1928 के बारडोली सत्याग्रह के दौरान वहां की महिलाओं ने ही उन्हें “सरदार” की उपाधि प्रदान की थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात पटेल जी ने 565 रियासतों का भारत में विलय कर देश की अखंडता को सुनिश्चित किया। उनके इस योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

सुमित (छात्र) ने अपने विचार रखते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने भारत को विभाजित करने का प्रयास किया था, परंतु सरदार पटेल ने अपने राजनीतिक कौशल से 562 रियासतों का भारत में विलय किया और शेष तीन — जूनागढ़, कश्मीर एवं हैदराबाद — को भी भारत का अभिन्न अंग बनाया।

सिमरन साख्या (बी.ए. पंचम सेमेस्टर) ने बताया कि सरदार पटेल जी ने सभी रियासतों का भारत में विलय कर देश की एकता और अखंडता की नींव रखी।

मोहित (छात्र) ने कहा कि सरदार पटेल ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने बिना तलवार और बंदूक के, केवल अपने आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के बल पर भारत को एक अखंड राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।

सोनम (छात्रा) ने बताया कि हम सरदार पटेल की जयंती को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में क्यों मनाते हैं। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने 1931 के कराची अधिवेशन की अध्यक्षता की थी तथा भारतीय सिविल सेवा (Indian Civil Services) की नींव रखने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

प्रो. अनुप पांडेय ने कहा कि सरदार पटेल जी के जीवन की चर्चा के साथ-साथ हमें उनके गुणों को भी समझना चाहिए। उन्होंने बताया कि कैसे पटेल जी ने महात्मा गांधी के विचारों को आत्मसात करते हुए देश को एकीकृत किया और अपने नेतृत्व कौशल से राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा।

प्रो. एस . सी.गैरोला ने कहा कि जैसे सरदार पटेल ने देश को एकजुट किया, वैसे ही हमें भी राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए सदैव प्रयासरत रहना चाहिए।

मुख्य वक्ता डॉ. नीलम(सहायक प्रोफेसर) ने कहा कि आज हम भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री की जयंती मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। उन्होंने अपनी दृढ़ता, निष्ठा और कुशल नेतृत्व के माध्यम से भारत को एक अखंड राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में निभाई गई सरदार पटेल जी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। महात्मा गांधी जब अंग्रेजों को देश से निकालने और राष्ट्र को एक करने के प्रयास में थे, तब सरदार पटेल उनके विचारों से गहराई से प्रभावित हुए और उनके साथ विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की।

डॉ. नीलम ने कहा कि सरदार पटेल जी का यह विश्वास था कि “एक भारत ही श्रेष्ठ भारत हो सकता है।” जब तक भारत एक रहेगा, तब तक वह विश्व में श्रेष्ठ बना रहेगा — यही उनका संदेश और आदर्श था।

प्रो. यू. सी. गैरोला (परिसर, निदेशक) ने अपने संबोधन में सरदार पटेल जी के प्रशासनिक गुणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने नेहरू जी और पटेल जी से जुड़ी एक प्रेरणादायक घटना का उल्लेख किया तथा बताया कि सरदार पटेल जिस स्थान विद्यानगर से थे, वह आज शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत प्रसिद्ध है जहाँ देश के कोने-कोने से छात्र शिक्षा प्राप्त करने आते हैं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज कुमार विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने की शपथ ली। इसके साथ ही कार्यक्रम का समापन उप-अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. एस.सी. गैरोला द्वारा किया गया।

इस अवसर पर प्रो. एम.सी. पुरोहित, डॉ. आशा, डॉ. जया उनियाल, प्रो. रिहाना, डॉ. अतुल सैनी, डॉ. अनूप पांडे, डॉ. धर्मेन्द्र, डॉ. वर्मा,डॉ. ममता, डॉ. कोटनाला, डॉ. गौतम,डॉ. पूनम बिष्ट, डॉ. अनिल दत्त, डॉ. दिनेश पांडेय, गोकुल फुलारा एवं देवेन्द्र सिंह, कुसुम,काजल, डॉ. बिपिन, डॉ. धारणा, सहित कई प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

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