गब्बर सिंह भंडारी
मुज़फ्फरनगर, 16 जून।दिल्ली में आयोजित केंद्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेकर लौटे किसान मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भोपाल सिंह चौधरी ने रविवार को भारतीय किसान मजदूर संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी शाह आलम के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता की। यह संवाददाता सम्मेलन मुज़फ्फरनगर में आयोजित किया गया, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से किसान नेताओं की भागीदारी रही।
चौधरी ने बताया कि दिल्ली में आयोजित CACP की बैठक में उन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ी किसानों की समस्याओं को मुखरता से उठाया और आयोग के अध्यक्ष विजय पाल शर्मा को जमीनी स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में खेती बंदर, सुअर, लंगूर जैसे जंगली जानवरों के आतंक से बर्बाद हो रही है। फसलें तबाह हो रही हैं और किसान हताश हो चुके हैं।”
उन्होंने बैठक में यह भी मांग रखी कि पलायन रोकने के लिए केंद्र सरकार विशेष बजट जारी करे जिससे पहाड़ों में खेती को सुरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो पहाड़ पूरी तरह से खाली हो जाएंगे और पारंपरिक खेती समाप्त हो जाएगी।
भोपाल सिंह चौधरी ने बताया कि उन्होंने आयोग के समक्ष ई-कृषक कार्ड की मांग भी रखी, जिसे ई-श्रम कार्ड की तरह प्रत्येक किसान को जारी किया जाए और इसी के माध्यम से नापतौल, फसल खरीद, बीमा और सरकारी योजनाओं को जोड़ा जाए। साथ ही उन्होंने फसल बीमा को पूरी तरह निशुल्क किए जाने, तारबाड़ के लिए अतिरिक्त बजट देने तथा बद्री गाय की नस्ल को संरक्षित कर उसके दूध को औषधीय उपयोग में लाने की वकालत की।
प्रेस वार्ता में किसान मंच के प्रदेश मीडिया प्रभारी गब्बर सिंह भंडारी, प्रदेश प्रभारी पीयूष जोशी, अभिषेक उनियाल, भारतीय किसान मजदूर संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष शाहिद राजा, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष इंतजार, पश्चिम प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अतुल, प्रचार मंत्री काज़ी मुस्तकीम साहब भी उपस्थित रहे।
चौधरी शाह आलम ने कहा कि देश के किसानों की समस्याएं केवल फसल के दाम या समर्थन मूल्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सुरक्षा, बीमा, और जमीनी क्रियान्वयन में भी सरकार की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने किसान मंच द्वारा रखे गए बिंदुओं को देश के सभी किसान संगठनों द्वारा समर्थन देने का भरोसा जताया।
प्रेस वार्ता के दौरान सभी नेताओं ने एक स्वर में केंद्र सरकार से मांग की कि CACP बैठक में दिए गए किसान मंच के सुझावों को प्राथमिकता दी जाए और उनका त्वरित क्रियान्वयन किया जाए।
“अगर खेती बचानी है तो किसान की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। पहाड़, मैदान, मैदानी सीमाएं नहीं, अब सभी किसानों की समस्याएं साझा हैं, और समाधान भी साझा प्रयासों से ही निकलेगा।”