बस इतना ही सोचती रही

बसंती सामंत

शालिनी सुबह सुबह जल्दी जल्दी घर का नाम निपटा रही थी, तभी फोन घनघना उठा, शालिनी फोन की ओर लटकी,,, दूसरी ओर से मां की घबराई हुई आवाज,,, “बेटा तुम्हारे पापा की तबियत बहुत खराब है जल्दी से हास्पिटल आ जाओ”,,,, “माँ तुम चिंता मत करो मैं अभी आती हूँ”
कहकर शालिनी जल्दी जल्दी तैयार होने लगी,,, माँ ना जाने कैसे अकेले पापा को सम्भाल रही होगी यह सोचकर शालिनी ने जल्दी से अपनी छोटी बहन मालिनी को फोन घुमाया,,, “छोटी पापा की तबियत खराब है, जल्दी से हास्पिटल पहुंचो,,तुम पास में हो हास्पिटल के, मुझे आते आते समय लगेगा ,, माँ अकेली है घबरा रही होगी,, फोन रखते ही शालिनी पतिदेव को खबर देकर हास्पिटल की ओर निकल पडी़,,,,, हास्पिटल शालिनी के घर से 50 कि. मी. दूर था तो जाते जाते समय लग गया, शालिनी रास्ते भर पापा के बारे में सोचकर बैचेन रही,, पता नही मां कैसे सब कुछ सम्भाल रही होगी सब कुछ अकेले,,,,,,, बड़ा भाई शहर में नौकरी करता था तो वही बच्चों सहित जाकर रहने लगा,, माँ पापा गाँव वाले घर में रहते,,, कभी कभी पोते बेटे से मिलने शहर चले जाया करते,,, कभी भाई परिवार संग छुटियाँ बिताने घर आ जाया करते,,, सब ठीक चल रहा था पर आज अचानक,,, , ,, इसी उधेड़बुन में शालिनी पूरे रास्ते परेशान रही,,,,,,,
छोटी बहन मालिनी को फोन लगाया,,, मालिनी हास्पिटल पहुंच चुकी थी,,, तो शालिनी ने राहत की सांस ली,,,
कुछ समय बाद,,,, हास्पिटल आ गया,, जल्दी जल्दी शालिनी हास्पिटल की और बढी,,,,
मालिनी व मां बाहर पर ही मिल गये,,,,,,,,, पापा को भीतर ले गए थे,,,,, रिसेपशन पर पूछताछ करने को शालिनी आगे बढी,,,,, पापा का आपरेशन होना था,, ,,, शालिनी माँ को परेशान देखकर धीरज बंधाने लगी,, मन ही मन में शालिनी भी घबराई थी,,,,, ,,
दिन भर हास्पिटल में कभी दवाई कभी पापा के चेकअप, कभी हास्पिटल के खर्च के लिए दोनों बहनों ने हास्पिटल का एक एक कोना छान मारा,,,, शाम तक पापा का आपरेशन सफल हो गया,,, शालिनी ने राहत की सांस ली,,,,,, रात का खाना मालिनी घर जाकर बना लाई,,,,,पापा को दवाई व लिक्विड ही देनी थी ,,,माँ को खाना खिलाकर दोनों बहनों ने खाना खाया, सारी रात हास्पिटल में बिताई,, भाई का फोन आया था वह कल घर आ रहा था,,,,, दूसरे दिन सुबह पापा को जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया था, , आज पापा को देखकर शालिनी को पहली बार लगा पापा बूढ़े हो गये हैं बीमारी से पापा की चेहरे पर उम्र झलकने लगी,,, शालिनी ने मन बना लिया था आज वो भाई को खूब खरी खोटी सुन आयेगी, व माँ पापा को साथ ले जाने को कहेगी,, वह माँ पापा को अपने घर भी ला सकती थी पर माँ पापा माने तब ना वो अपना घर छोड़कर भी वहाँ रह सकती थी,,,,, जब से माँ भाई के आने कि खबर सुनी तो खुश थी,,, मालिनी बोली”भाई को चिंता नहीं है जब उसे पता था कि तबीयत खराब है और आपरेशन तय है तो उसे पहले ही आ जाना चाहिए”माँ झट से बेटे का पक्ष लेने लगी,,,,, कल से परेशान माँ शालिनी व मालिनी को नजरअंदाज कर बेटे के आने की राह देखने लगी,,,,,,, शालिनी डाक्टर के पास जाकर डिस्चार्ज पेपर बना लाई,, मालिनी रिसेप्शन पर जाकर सारी दवाई पूछ आई व माँ की नजरें बार बार दरवाजे पर जाने लगी माँ कई बार दरवाजे तक चक्कर लगा आई,,,,,,, तभी भाई का फोन आया,,कि कुछ समय लगेगा और पहुंचने मे,,, पापा को बाहर लाया जा चुका था,,, शालिनी बोली गाड़ी बुक कर लेते हैं हम घर छोड़ आते हैं तब तक भाई सीधा घर आ जायेगा यहाँ कब तक इन्तजार करेगें ऐसे,,,,पापा का बेड भी खाली करा दिया गया था,,,,,पर माँ पापा अपने बेटे के साथ ही जाने की जिद लिए बैठे रहे,, पापा को बैठने में तकलीफ हो रही थी,, पर ना जाने कौन सी झुठी शान के लिए उनको बेटियों के साथ नहीं बेटे के साथ ही घर जाना था,,,, शालिनी व मालिनी जो कल से अपने घर को छोड़कर यहाँ दौडती रही उनका इतना हक भी नहीं कि वो उन्हें घर ले जा सके अपने मन से,,, खुद माँ पापा इसके लिए तैयार ना थे,, अब माँ पापा के सामने ही दोनों बहनें खुद को पराया महसूस करने लगी,,,,
दो घंटे के इन्तजार के बाद भाई आया तो माँ पापा खुशी खुशी उसकी गाड़ी में बैठ गये,,, जाते जाते वो बस शालिनी व मालिनी की ओर एक नज़र भर डाल गये,,, मानों “बस इतना ही” कह गये,,,,,, शालिनी व मालिनी भारी मन से अपने अपने घर की ओर चल दी,,, और रास्ते भर दोनों “बस इतना ही ” सोचती रही,,,

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