कोटद्वार निवासी अनूप अंथवाल, सूफ़ी गायकी के क्षेत्र में एक खास पहचान बना चुके हैं। उनकी गायकी से उनको हर मंच पर सम्मान मिलता हैं और उनकी आवाज़ सुनते ही लोग दंग रह जाते हैं। अनूप अंथवाल न केवल सूफी गायकी में अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं, बल्कि वे इस कला को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाने के मिशन में भी जुटे हुए हैं।
शहरी इलाकों में इस प्रकार की प्रतिभा का मिलना आम बात हो सकती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में मिलना बहुत मुश्किल है। वर्तमान में,अनूप आदर्श नगर कॉलोनी, सेंट मेरी स्कूल बिजनौर के पास रहते हैं और सर्वोदय स्कूल कीरतपुर में संगीत अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। वे मानते हैं कि संगीत हमारी विरासत है
अनूप अंथवाल का संगीत के प्रति लगाव बचपन से ही था। इन्होने गायन तथा वादन से संगीत प्रभाकर की उपाधि प्राप्त की है और रंगमंच से अपना सफर शुरू किया। शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उन्होंने अपने गुरुओं से प्राप्त की। इसके अलावा,वे राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने चायोस, मेक इन इंडिया और इंफिनिक्स फोन जैसे प्रमुख ब्रैंड्स के लिए अपनी आवाज दी है।
अनूप की लेखन में भी रुचि है; उन्होंने सिधबली बाबा, तारकेश्वर
महादेव, और ज्वालपा धाम पर भजन बनाए हैं। ये भजन उनके यूट्यूब चैनल ANOOP ANTHWAL (THE MUSICAL BANDA) पर सुने जा सकते हैं। रंगमंच में अपने अनुभव के चलते उन्होंने चेन्नई और असम में राष्ट्रीय युवा महोत्सवों में अपने हुनर का प्रदर्शन किया है।
एनसीआर में संगीत विद्यालयों में शिक्षण कार्य और निर्धन बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ के साथ जुड़कर समाज सेवा में भी उन्होंने योगदान दिया है। कोटद्वार और दिल्ली समेत विभिन्न स्थानों पर उन्होंने संगीत की शिक्षा प्राप्त की है और कई मंचों पर निर्णायक की भूमिका निभाई है।
अनूप ने गौ माता पर भी भजन बनाया है, जो हरिद्वार गौशाला की चारे की गाड़ियों में सुना जा सकता है। इन्होने बिजनौर में रेडियो स्टेशन में निर्णायक की भूमिका निभाई है और इन्हें दिल्ली पब्लिक स्कूल बिजनौर और डीडीपीएस इंटर कॉलेज बिजनौर तथा अन्य जगहों में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
उनके पिता राजेंद्र अंथवाल बताते हैं कि जब अनूप आठ साल का था तब से ही उसने संगीत सीखने की धुन लगा ली थी।
अनूप अंथवाल की यात्रा संगीत की दुनिया में एक अनूठी मिसाल है, जहाँ वे न केवल अपनी कला को संजोए हुए हैं, बल्कि समाज में भी अपने योगदान को निरंतर बढ़ा रहे हैं। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें अनेक पुरस्कार और सम्मान दिलाए हैं,और वे प्रतिदिन रियाज करके अपनी कला को और भी निखार रहे हैं।