मरीजों के साथ बेहतर संवाद वाला चिकित्सक आता है बेहतर चिकित्सक की श्रेणी में मिलती है ईश्वरीय उर्जा         

 

गबर सिंह भण्डारी

श्रीनगर गढ़वाल। राजकीय मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध बेस चिकित्सालय श्रीनगर में समस्त चिकित्सकों को बेहतर संवाद (कम्युनिकेशन) पर फोकस करना होगा। प्रदेश के माननीय चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत के दिशा-निर्देशों पर अस्पताल में आने वाले हर मरीज व तीमारदारों से चिकित्सक का बेहतर संवाद बने इसके लिए समय-समय पर संस्थान द्वारा कार्यशाला आयोजित किये जाने को प्राथमिकता देनी है। इसे लेकर एनएमसी द्वारा संकाय/चिकित्सको हेतु एटकाम कोर्स का प्रावधान किया गया है,जिसको हर संकाय द्वारा करना जरूरी होता है। ताकि अस्पताल में आने वाले हर मरीज व उनके तीमारदारों से बेहतर संवाद के साथ बेहतर चिकित्सकीय सेवा मिले। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.सीएमएस रावत ने कहा कि एक अच्छे चिकित्सक के लिए अपने चिकित्सकीय कार्यों के साथ-साथ जो सबसे महत्वपूर्ण अंग है वह है संवाद या संचार (कम्युनिकेशन)। “हिपोक्रेटिक ऑथ” एवं “चरक शपथ” में संवाद या संचार (कम्युनिकेशन) को सर्वप्रथम स्थान दिया गया है। संवाद या संचार एक बेहतर चिकित्सक की सबसे बडी पूंजी है। चिकित्सक का यह संवाद या संचार (कम्युनिकेशन) का गुण जीवनपर्यन्त मरीज के दिलों दिमाग पर रहता है,जो कि एक अच्छे चिकित्सक के निर्माण में बहुत बडा कारक होता है। ऐसे चिकित्सको को दैवीय शक्ति का अहसास होता है तथा ऐसे चिकित्सक से मरीज की हिलिंग प्रोसेस भी अच्छी व त्वरित होती है। यह पहले से ही सिद्ध है। एक चिकित्सक में कितना भी ज्ञान और स्किल हो,अगर उसमे मरीज और उसके संवाद या संचार (कम्युनिकेशन) में कहीं कमी है,तो इससे बहुत सारी परेशानियों व बाधाएं उत्पन्न होती है। उससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है,जो कि ना तो चिकित्सक हित में है और ना ही मरीजहित में है। प्राचार्य डॉ.सीएमएस रावत ने कहा कि आकस्मिक विभाग में जहां पर मरीज क्रिटिकल स्थिति में आता है,उस समय एक चिकित्सक को मरीज के साथ-साथ मरीज के तीमारदारों के साथ होने वाला संवाद या संचार (कम्युनिकेशन) बहुत ही महत्वपूर्ण रहता है। उन्होंने संस्थान के समस्त संकाय,सीनियर रेजिडेन्ट,पीजी जेआर,नॉन पीजी जेआर व इन्टर्न से यह अपेक्षा की कि वह अपने संवाद या संचार (कम्युनिकेशन) में गुणात्मक सुधार लायें ताकि वह वर्तमान व भविष्य में एक बेहतर चिकित्सक के रूप में प्रकट हो। कहा कि इस सम्बन्ध में किसी को सुधार लाना हो तो वह प्राचार्य कार्यालय के सभागार में उपस्थित होकर अपनी समस्या का समाधान कर सकते है। प्राचार्य ने कहा कि मरीज व मरीज के तीमारदारों के साथ संवाद या संचार (कम्युनिकेशन) पहले से और बेहतर हो इसके लिए समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा किया जायेगा। वरिष्ठ संकाय/चिकित्सको की जिम्मेदारी है कि अपने अनुभव से जूनियर व ट्रेनी चिकित्सको को दे अच्छे संवाद (कम्यूनिकेशन) के टिप्स दे। बयान–हर एक मरीज व उनके तीमारदारों के साथ अस्पतालों में बेहतर संवाद होना है बहुत जरूरी है। वरिष्ठ चिकित्सकों की जिम्मेदारी है कि अपने अनुभवों से सेवाकाल के दौरान अच्छे संवाद के टिप्स जूनियर व ट्रेनी चिकित्सको को बताये। अस्पताल में मरीजों एवं तीमारदारों से अच्छा संवाद ही पूरे समाज में बेहतर संदेश जाता है। क्यूंकि अस्पताल में मरीजों व तीमारदारों से चिकित्सक का बेहतर संवाद ही बेहतर चिकित्सक की प्रथम सीढी है।

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