डॉ. सुरेन्द्र लाल आर्य एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा, शिक्षा, समता, मानवाधिकार संरक्षण और सर्वोदय के सिद्धांतों को समर्पित कर दिया। भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त होने के बाद भी वे सामाजिक सक्रियता में निरंतर योगदान दे रहे हैं। उनका जीवन न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि समाज सुधार और मानवीय मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण भी है।
सर्वोदय और सामाजिक उत्थान के प्रति समर्पण
डॉ. सुरेन्द्र लाल आर्य ने महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर और महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों से प्रेरित होकर समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया। वे सर्वोदय और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को अपनाकर समानता, सद्भाव और मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं। उनके प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मानों से मान्यता मिली है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय महात्मा गांधी विश्वशांति सम्मान, डॉ. अंबेडकर नेशनल अवार्ड, महर्षि दयानंद सरस्वती स्मृति सम्मान, नोबल इंडिया अवार्ड, मानवभूषण राष्ट्रीय सम्मान, राष्ट्रीय सर्वधर्म समभाव सम्मान और पंचशील राष्ट्रीय सम्मान प्रमुख हैं।
मानवाधिकार और सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव
डॉ. आर्य न केवल विश्व मानवाधिकार संरक्षण आयोग, न्यूयॉर्क (अमेरिका) के सक्रिय सदस्य हैं, बल्कि कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से जुड़े हुए हैं। वे भारतीय दलित साहित्य अकादमी (गढ़वाल मंडल) के मंडलीय अध्यक्ष हैं, जो दलित समुदाय के अधिकारों और साहित्यिक योगदान को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यरत है। इसके अलावा वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पेंशनर्स एसोसिएशन (कोटद्वार, दिल्ली वृत) के अध्यक्ष भी हैं, जो सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कल्याण के लिए काम करता है।
सामाजिक संगठनों की स्थापना और नेतृत्व
डॉ. सुरेन्द्र लाल आर्य समाज सेवा को संगठित रूप देने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कई संस्थाओं की स्थापना और नेतृत्व किया, जिनमें प्रमुख हैं:
1. आर्य गिरधारी लाल महर्षि दयानंद ट्रस्ट (कोटद्वार, उत्तराखंड) – यह संस्था सामाजिक सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत है।
2. प्रदेश वॉर्कलैंड सर्वोदय मंडल कैंप (कोटद्वार, गढ़वाल) – सर्वोदय विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित संगठन।
3. अखिल भारतीय कला साहित्य एवं संस्कृति अकादमी (उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यालय वर्धा, महाराष्ट्र) – कला, साहित्य और संस्कृति के संवर्धन के लिए कार्यरत।
4. उत्तराखंड प्रदेश नशाबंदी परिषद (मुख्यालय कोटद्वार) – नशामुक्त समाज की स्थापना के लिए प्रयासरत।
5. गढ़वाल सर्वोदय मंडल (मुख्यालय कोटद्वार) – सर्वोदय विचारधारा को मजबूत करने के लिए कार्यरत।
6. आर्य समाज उदयरामपुर, कण्वघाटी (गढ़वाल, उत्तराखंड) के संस्थापक एवं संरक्षक।
7. विश्वम्भर दयाल मुनि विश्वकर्मा ट्रस्ट (पदमपुर सुखरौ, कण्वनगरी, कोटद्वार) के संस्थापक सचिव।
सर्वोदय के सिद्धांतों पर आधारित जीवन
डॉ. आर्य का जीवन सर्वोदय के आदर्शों पर आधारित रहा है। वे जाति, धर्म, लिंग आदि के भेदभाव से ऊपर उठकर समाज में समानता और समरसता की भावना को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करते हुए शिक्षा, श्रम, सामाजिक समता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।
समाज के लिए प्रेरणा स्रोत
डॉ. सुरेन्द्र लाल आर्य न केवल एक समाजसेवी बल्कि एक विचारक, शिक्षाविद और प्रेरणास्रोत भी हैं। उनकी संस्थाओं और गतिविधियों से हजारों लोगों को लाभ मिला है। उनकी विचारधारा और योगदान यह दर्शाते हैं कि यदि व्यक्ति संकल्प ले तो वह समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उनका जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण की मिसाल है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा।
डॉ. सुरेन्द्र लाल आर्य का जीवन समाज के लिए अनुकरणीय है। वे न केवल सामाजिक और शैक्षिक संस्थानों के माध्यम से समाज सुधार में योगदान दे रहे हैं, बल्कि अपने विचारों और कार्यों से समाज में जागरूकता भी फैला रहे हैं। उनका जीवन एक संदेश देता है कि समर्पण और दृढ़ संकल्प से समाज में बदलाव संभव है। उनकी सर्वोदय यात्रा को सलाम!