मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम, ग्रीष्मकाल में पेयजल की समस्या के त्वरित समाधान एवं आगामी सप्ताह से प्रारंभ होने जा रही चार धाम यात्रा की पूर्व तैयारी के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की तथा प्रदेश के सभी उच्चाधिकारियों तथा सभी जिलाधिकारियों सहित अन्य अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।
वनाग्नि रोकथाम की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि वनाग्नि की घटना होने पर त्वरित कार्यवाही करते वनाग्नि को तत्काल नियंत्रित करें।उन्होंने कहा वनाग्नि की घटना पर रिस्पांस समय कम से कम हो। उन्होंने कहा कि वन विभाग मुख्यालय देहरादून में तैनात प्रत्येक उच्च अधिकारी को एक जिले की अलग से जिम्मेदारी सौपते हुए जिले के प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी सौंपते हुए प्रत्येक घटना व प्रत्येक दिन की सूचना एकत्रित करते हुए तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रभागीय वनाधिकारी तथा उनसे उच्च स्तर के अधिकारी फील्ड में निकलकर वनाग्नि की रोकथाम हेतु कार्यवाही करें।
उन्होंने कहा कि निचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर के प्रत्येक अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाए। किसी भी स्तर पर लापरवाही होने पर तत्काल कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं में पूर्ण नियंत्रण रखा जाए। अधिकारी आपसी समन्वय के साथ कार्य करें। जिलाधिकारी वनाग्नि नियंत्रण हेतु जो भी उचित निर्णय है वह लेते हुए तत्काल कार्यवाही करें।
ग्रीष्मकाल में पेयजल की समस्या के समाधान हेतु की जा रही आवश्यक व्यवस्था आदि की समीक्षा करते हुए माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पेयजल की समस्या अधिक है वहां वैकल्पिक रूप से टैंकर आदि के माध्यम से पेयजल आपूर्ति कराई जाए। जहां हैंडपंप सूख गए हैं उनके कारणों की जांच की जाए। अगर उनकी गहराई मानक से कम की गई है तो संबंधित जिम्मेदार के खिलाफ उचित कार्रवाई करते हुए हैंड पंप को तत्काल ठीक कराया जाए।
मा0 मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपद स्तर पर कहीं भी पानी की बर्बादी न हो यह देखा जाए प्रत्येक जिलाधिकारी की जिम्मेदारी होगी तथा लीकेज नलों को तत्काल ठीक कराया जाए। जल स्रोतों के पुनर्जीवन का कार्य नियमित कराया जाए। जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य किया जाए जो पुराने जल स्रोत, तालाब आदि हैं, उन्हें पुनर्जीवित कराया जाए। उन्होंने कहा कि पानी को बचाना आवश्यकीय है इस हेतु जागरूकता अभियान चलाया जाए। प्रत्येक सरकारी भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया जाए।
मा0 मुख्यमंत्री द्वारा चार धाम यात्रा की भी समीक्षा करते हुए आगामी 10 मई तक सभी तैयारी पूर्ण करने के निर्देश दिए गए।
इस दौरान प्रभागीय वनाधिकारी चंपावत आरसी कांडपाल ने अवगत कराया कि जिले में वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम हेतु कुल 53 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं जिसमें 238 फायर वाचर रखे गए हैं। वन विभाग के कार्मिकों के साथ ही 07 होमगार्ड 11 वाहन लगाए गए हैं। 04 वाहन आपदा विभाग से लगाए गए हैं। 24 घंटे वन विभाग की टीम वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम हेतु कार्य कर रही है। प्रभागीय वनाधिकारी ने अवगत कराया कि जिले में 55 वनाग्नि की घटनाओं में रिजर्व फॉरेस्ट में 36.89 हेक्टेयर में वनाग्नि बुझाई गई है। इन घटनाओं में 37 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें 11 नामजद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शासन से मुख्य सचिव राधा रतूड़ी सहित अन्य उच्चाधिकारी तथा जनपद चंपावत से प्रभागीय वनाधिकारी आर.सी कांडपाल, मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी हेमन्त कुमार वर्मा, उप जिलाधिकारी सदर सौरभ असवाल, जिला विकास अधिकारी दिनेश दिगारी, अधिशासी अभियंता जल संस्थान बिलाल युनुस, अधिशासी अभियंता पेयजल निगम वी के पाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।