मनोज नौडियाल
कोटद्वार/हरिद्वार।राजकीय महाविद्यालय मंगलौर (हरिद्वार) अपने निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी” REJUVENATING INDIAN AWARENESS IN MODERN ERA” विषय के प्रथम दिवस पर आज संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रो० लवनी राजवंशी, प्राचार्य, भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जयहरीखाल (पौडी गढ़वाल), विशिष्ट अतिथि डॉ० दुर्गश कुमारी, असि० प्रो० राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लक्सर हरिद्वार, डॉ० पूनम चौधरी असि० प्रो० हर्ष विद्या मन्दिर महाविद्यालय रायसी ने दीप प्रज्जवलित कर माँ सरस्वती की वंदना की। इसके उपरान्त संगोष्ठी का संचालक एवं समन्वयक डॉ० प्रज्ञा राजवंशी ने आंमत्रित अतिथियों का स्वागत करने के लिए भारती, असमा, अमीशा, इत्यादि छात्राओं को निमंत्रित किया, जिन्होंने अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सर्वप्रथम महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० तीर्थ प्रकाश ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल होने के लिए अग्रिम शुभकामनायें दी। इस के उपरान्त राष्ट्रीय संगोष्ठी की समन्वयक डॉ० प्रज्ञा राजवंशी ने संगोष्ठी में होने वाले कार्यकमों की एक संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की । सर्वप्रथम मंच पर व्याख्यान हेतु विशिष्ट अतिथि डॉ० दुर्गश कुमारी को आंमत्रित किया गया, उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण विश्व में भारत अपनी परम्परा के लिए जाना जाता है किन्तु आज प्रायः यह देखा जाता है कि भारतीय परम्परा का हनन हो रहा है उन्होंने इंगित किया कि किस प्रकार अमीश त्रिपाठी ने अपने नोवल में रामायण की सीता को एक योद्धा के रूप में चित्रित किया है यह हमारे भारतीय साहित्य की कलात्मकता है कार्यकम को आगे बढ़ाते हुए. डॉ० पूनम चौधरी को मंच पर आंमत्रित किया, उन्होंने बताया कि बच्चों तुम जैसे अपने मस्तिष्क को निदेश दोगें तुम्हारे मस्तिष्क में ऐसे ही विचार विकसित होगें फिर चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक हो पहले सुना फिर निर्णय लो कि तुम्हें क्या करना है
उन्होंने रविन्द्रनाथ टैगोर की गीताजंली का जिक किया। इसके पश्चात डॉ० बलविन्दर कौर असि० प्रो० धनौरी पी० जी० कॉलेज धनौरी ने अनिता देसाई, भारतीय मुखर्जी, सलमान रश्दी चित्रा बनर्जी अमिताभ घोष, एवं अमित चौधरी के बारे में विस्तार से वर्णन किया। इसके पश्चात कार्यक्रम के अगले पड़ाव में मुख्य अतिथि प्रो० लवनी राजवंशी ने सभी का ध्यान अंग्रेजी साहित्य के कलात्मक दृष्टिकोण की ओर आकर्षित करते हुए बताया कि हमारे उपन्यासकरों ने किस प्रकार बड़ी खूबसुरती से हर एक चरित्र को अपने उपन्यास में जीवान्त किया है उन्होंने छात्र/छात्राओं को अर्थिक दृष्टि से अपने आप को मजबूत बनाने के लिए उद्यमिता को महत्वपूर्ण बताया। इस के उपरान्त महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ तीर्थ प्रकाश ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आमंन्त्रित अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया एवं प्राचार्य महोदय द्वारा आमंन्त्रित अतिथियों को शॉल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार बहुत सारे विचार साहित्य के माध्यम से ही ले सकते है एवं इस कार्यकम को सफल बनाने के लिए महाविद्यालय परिवार के डॉ० कलिका काले, डॉ० अनुराग, डॉ० रचना वत्स श्रीमती सरमिष्टा, गीता जोशी, श्री सूर्य प्रकाश, श्री रोहित, श्री सन्नी, श्री जगपाल एवं छात्र छात्राओं बहुतायत में उपस्थित रहे।