धूमधाम से मनाया फूलदेई पर्व

मनोज नौडियाल
कोटद्वार। फूलदेई का पर्व अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज कण्वघाटी में प्रधानाचार्य रमाकांत कुकरेती सौजन्य से बड़े धूमधाम से मनाया गया। इसमें विद्यालय के छात्र एवं शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।इस अवसर पर  कुकरेती द्वारा लोकपर्व के विषय में बोलते हुए कहा कि फूलदेई पर्व उत्तराखंड का एक लोक पर्व है, उत्तराखंड में इस त्यौहार की काफी मानता है, इस त्यौहार को फुल संक्रांति भी कहते हैं, जिसका संबंध प्रकृति से है इस समय चारों ओर छाई हरियाली और नए-नए प्रकार के खिले हुए प्रकृति की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं, हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने से नव वर्ष होता है, और नव वर्ष के स्वागत के लिए खेतों में सरसों खिलने लगते हैं और पेड़ों में फूल आने लगते हैं उत्तराखंड में चैत्र मास की संक्रांति अर्थात पहले दिन से ही बसंत आगमन की खुशी में फूलों का त्योहार फूलदेई मनाया जाता है ,जो की वसंत ऋतु की स्वागत का प्रतीक है ।चैत्र के महीने में उत्तराखंड की जंगलों में कई प्रकार के फूल खिलते हैं ये फूल इतने मनमोहक और सुंदर होते हैं। जिनका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है ।इस फूल पर्व में नन्हे -मुन्ने बच्चे प्रातः सूर्योदय के साथ-साथ घर-घर की देहली पर रंग बिरंगी फूल को चढ़ाते हुए ,घर की खुशहाली सुख शांति की कामना के गीत गाते हैं अर्थात इसका मतलब है कि हमारा समाज फूलों के साथ नए साल की शुरुआत करें, इसके लिए बच्चों को परिवार के लोग गुड़,चावल पैसे देते हैं, ज्योतिषियों के मुताबिक यह पर पर्वतीय परंपरा में बेटियों की पूजा समृद्धि का प्रतीक होने के साथ ही रोग निवारण औषधि संरक्षण के दिवस के रूप में भी मनाया जाता है फूलदेई पर्व के दिन एक का मुख्य प्रकार का व्यंजन मनाया जाता है जिसे सयेई कहा जाता है और बहुत घरों में नये नये पकवान भी बनाये जाते है,ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन बच्चों को बासी भोजन नहीं दिया जाता है।यह पर्व लोक कल्याण का पर्व है।सबसे पहले बच्चे फूलों की देवी गोघा माता की पूजा करते हैं, उसके बाद देहली में फूल डालते हुए,फूलदेई पर्व के बच्चे गीत गाते हैं। फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार ,भर भकार , ये देहली से बारंबार नमस्कार, फूले द्वार –फूल देवी छम्मा देई ।इस अवसर पर राकेश मोहन ध्यानी, उमेश चन्द्र, कविता बिष्ट रावत, अनुराधा जोशी ने बच्चों को सम्बोधित किया।

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