काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सम्मानित हुईं प्रधानाचार्या आरती चितकारिया

मनोज नौडियाल

देहरादून निवासी राजकीय बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज, जौनपुर टिहरी गढ़वाल की प्रधानाचार्या आरती चितकारिया को हिन्दी साहित्य में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए विश्व हिन्दी शोध- संवर्धन अकादमी एवम हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक समारोह में महादेवी वर्मा साहित्य – सम्मान से विभूषित किया गया।
काशी ( उ0 प्र0) के बी एच यू परिसर में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल सभागार में आयोजित भव्य सम्मान समारोह में श्रीमती आरती चितकारिया को यह सम्मान विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष श्री वशिष्ठ अनूप एवम काशी के वरिष्ठ साहित्यकार श्री हीरालाल मिश्र मधुकर के द्वारा प्रदान किया गया। जिसमें उन्हें अपने साहित्यिक योगदान के लिए अंगवस्त्र, सम्मानपत्र तथा प्रतीक चिह्न दिया गया। आरती चितकारिया लम्बे समय से साहित्य लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इसके लिए उन्हें पहले भी कई साहित्यिक मंचो पर सम्मानित किया जा चुका है। विभिन्न राज्यों से प्रकाशित पत्र / पत्रिकाओं में समय समय पर इनके गीत, ग़ज़ल व कविताएं प्रकाशित हुई है। साथ ही शब्द बुनने में, सिलसिला, कश्ती में चाँद, इनायत, काव्यालोक, संचेतना काव्य मंजूषा, अभिलाषा तथा 101 महिला ग़ज़लकार (किताबगंज), नव किरण, नूतनवर्षाभिनन्दन, विश्व हिंदी दिवस, स्वामी विवेकानंद, अनंता समकालीन साहित्यकार, बाल-पोटली, स्वागत है ऋतुराज बसंत आदि संकलनों में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। हाल ही में इनकी बाल कविताओं का अनुवाद राजस्थानी भाषा में किया गया है, जो ‘राजस्थानी बाल बत्तीसी’ संग्रह में प्रकाशित हुई हैं।
बी एच यू में आयोजित सम्मान समारोह में विश्व हिन्दी शोध संवर्धन अकादमी की ओर से 1292 पृष्ठों के एक विशाल एवम स्तरीय काव्य ग्रन्थ ‘नई सदी के स्वर’ का विमोचन व लोकार्पण भी किया गया। जिसमें देश के सभी प्रान्तों के कवियों सहित आरती चितकारिया की रचनाओं को भी स्थान दिया गया है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो राजाराम शुक्ल ने अपने संबोधन में कहा कि कविताएं शब्द ब्रह्म का बोध कराती हैं उन्होंने कहा कि ‘नई सदी के स्वर’ नए युग के कवियों का प्रतिनिधित्व करता है और यह काव्यग्रंथ शोध छात्रों के लिए एक अनमोल निधि है।कार्यक्रम में उपस्थित अपर आयुक्त राजस्व श्री गिरीश प्रताप चंद्र ने कहा कि कविताओं की संवेदना मनुष्यता की रक्षा करती हैं। कोल्हापुर महाराष्ट्र से आये प्रो अर्जुन चव्हाण ने ग्रंथ को अज्ञेय द्वारा सम्पादित तार सप्तक की काव्य परंपरा की याद दिलाने वाला बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो वशिष्ठ अनूप ने कहा कि इन कविताओं में हमारा समय अनेक सुरों में बोलता है। इस अवसर पर प्रसिद्ध गीतकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, डॉ वीरेन्द्र निर्झर, डॉ संजय पंकज, ग़ज़लकार अनिरुद्ध सिन्हा सहित कई जाने माने रचनाकार उपस्थित रहे। तथा देश के 14 प्रान्तों व विदेश से आये रचनाकारों को भी सम्मानित किया गया।

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