जिलाधिकारी डॉ0 आशीष चौहान ने उपरोक्त दिशा-निर्देश कलेक्ट्रेट सभागार के एनआईसी कक्ष में आयोजित की गयी दुग्ध समितियों के नेटवर्क विस्तार तथा उसमें आ रही कठिनाईयों के निवारण से संबंधित बैठक में डेयरी विभाग के अधिकारियों को दिये।
उन्होंने डेयरी, पशुपालन व कृषि विषय में पासआउट नयेडिग्रीधारकों से पशुधन नस्ल सुधार, दुग्ध उत्पादन बढ़ोतरी, संग्रह से लेकर इसके विक्रय इत्यादि सभी प्रक्रिया के संबंध में नया आइडिया लेकर उसे शामिल करने को कहा ताकि दुग्ध उत्पादन अधिक लोगों के स्वरोजगार का जरिया बन सके।जिलाधिकारी ने सभी खंड विकास अधिकारियों को दुग्ध उत्पादन क्षेत्रों का तथा विभिन्न सीजन में दुग्ध की डिमांड में कमी व अधिकता तथा किन-किन क्षेत्रों में डिमांड कम या ज्यादा है इत्यादि का डेयरी विभाग के समन्वय से सर्वे करने के निर्देश दिये। उन्होंने निष्क्रिय पड़ी दुग्ध उत्पादन समितियों को पुनर्जिवित करते हुए उनको बेहतर प्रशिक्षण देकर क्रियाशील व प्रभावी बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने कुनाऊ, लालढांग तथा ऐसे ही गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में जहां अधिक दुग्ध उत्पादन होता है उन क्षेत्रों में संबंधित दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध से संबंधित उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण व उत्पादन से संबंधित उपकरण उपलब्ध करवाने तथा उनसे दुग्ध क्रय करने इत्यादि पर गंभीरता से कार्य करने के निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने दुग्ध से अन्य उत्पाद तैयार करते हुए उसे ‘‘मिल्क पार्लर’’ ब्रांड से विक्रय करने की प्रक्रिया पर कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी ध्यान दिया जाय कि दुग्ध के संग्रहण और विक्रय तक की पूरी चैन के दौरान हम इसकी लागत में कैसे कमी ला सकते हैं तथा दुग्ध के संग्रहण और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए अच्छा कार्य करने वाले कार्मिकों और दुग्ध समितियों को कैसे प्रेरित और सम्मानित कर सकते हैं इस पर भी कार्य करने को कहा। साथ ही कहा कि हम दुग्ध उत्पादन के प्राइवेट पार्टनर्स के मुकाबले कैसे दुग्ध उत्पादन में प्रतिस्पर्दी बनें इस पर भी गंभीरता से कार्य करने की जरूरत बतायी।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अपूर्वा पाण्डेय, उप निदेशक डेयरी डॉ0 डी0पी0 सिंह, सहायक निदेशक लीलाधर सागर, प्रधान प्रबंधक श्रीनगर गढ़वाल दुग्ध संध जे0एस0 मौर्या सहित संबंधित कार्मिक उपस्थित थे।