होली द्वेष दहन का पर्व है -अतुल सहगल

मनोज नौडियाल

गाजियाबाद,मंगलवार 26 मार्च 2024, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “होली का सनातन स्वरूप” पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 628 वां वेबिनार था।

वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने त्यौहारों की चर्चा करते हुए कहा की त्यौहार,धार्मिक उत्सव एवं व्रत भारतीय समाज के जीवन का अभिन्न अंग हैं।होली भी संक्रांति के समान एक पर्व है।षडविकारों पर विजय प्राप्त करने का माध्यम है।इसीलिए होली को उत्सव के रूप में मनाते हैं।होली अग्निदेवता का पर्व है।इस दिन अग्नि देव का आह्वान होली जला के किया जाता है।यह अग्निहोत्र यज्ञ ही है। इस दिन अग्निहोत्र करने से व्यक्ति को विशेष तेजतत्व का लाभ होता है।इससे व्यक्ति में रजस और तमस की मात्रा घटती है।इससे समय पर और अच्छी वर्षा होने के कारण सृष्टि संपन्न बनती है। उन्होने फिर भविष्य पुराण की एक कथा प्रस्तुत करते हुए होली के पर्व की परंपरा का ऐतिहासिक घटना प्रसंग प्रस्तुत किया।होली का सम्बन्ध मनुष्य के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन से तो है ही,नैसर्गिक,मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं से भी है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।दुष्ट प्रवृत्ति एवं अमंगल विचारों का नाश कर, सदप्रवृत्ति का मार्ग दिखानेवाला यह उत्सव है।अध्यात्मिक साधना में अग्रसर होने हेतु बल प्राप्त करने का यह अवसर है।वक्ता ने उसके बाद शास्त्रानुसार होली मनाने की पद्धति का विवरण दिया।होली की रचना करते समय उसका आकार शंकुसमान होने का शास्राधार प्रस्तुत किया।होली में अर्पण करने के लिए मीठी रोटी बनाने का शास्त्रीय कारण भी बताया।पर्व के आध्यात्मिक तथ्यों को छूते हुए यह कहा कि यह पर्व द्वेष के दहन का पर्व है।द्वेष क्रोध से उपजता है और क्रोध से ही ईर्ष्या भी उत्पन्न होती है।दैनिक संध्या के छै मनसा परिक्रमा मन्त्रों में द्वेष दहन की बात ही आयी है। हम अपने परस्पर द्वेषभाव को ईश्वर के न्यायरूपी सामर्थ्य पर छोड़ दें।होली फाल्गुण पूर्णिमा का महायज्ञ है।प्रेम और बंधुत्व की वृद्धि इस पर्व का प्रयोजन है। प्रेम और द्वेष के अध्यात्मिक अर्थ लेते हुए यह कहा कि द्वेष का कारण क्रोध और क्रोध का कारण अज्ञान है और अज्ञान का कारण मौलिक दिव्य ईश्वरीय वेद ज्ञान से विमुख हो जाना है।पर्व पद्धतियाँ वेद और आर्ष ग्रंथों के अनुरूप ही रखें।इधर उधर भटकने से जीवन में विकृतियाँ आती हैं।राग रंग का अपना महत्व है।लेकिन पर्व में आडम्बर,दिखावे और अभद्र व्यवहार से बचें।

मुख्य अतिथि आर्य नेत्री अर्चना मोहन व अध्यक्ष यशोवीर आर्य ने होली को सामाजिक समरसता का पर्व बताया।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

 

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