फूलों और औषधीय पौधों से संवर रहा स्वरोजगार का सपना

*(सफलता की कहानी)*

 

विकासखंड पौड़ी के बैंग्वाड़ी गांव की कविता नौड़ियाल ने अपनी मेहनत और हौसले से न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिये भी प्रेरणा बन गयी हैं। कविता ने 2018 में छोटे स्तर पर फूलों की खेती से नर्सरी का कार्य शुरू किया था, जो अब एक सफल उद्यम में बदल चुका है। वर्तमान में वे फूलदार और औषधीय पौधों की नर्सरी से हर माह 30 से 40 हजार रुपये की शुद्ध बचत कर रहे हैं। उन्होंने इस नर्सरी का नाम विद्या नर्सरी रखा है।

मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने बैंगवाड़ी गांव पहुंचकर कविता नौडियाल द्वारा संचालित नर्सरी का निरीक्षण किया। उन्होंने नर्सरी में तैयार फूलदार, औषधीय एवं फलदार पौधों की सराहना करते हुये कहा कि कविता ने ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। सीडीओ ने उन्हें प्रोत्साहित करते हुये कहा कि विभागीय योजनाओं का लाभ लेकर इस कार्य को और भी बड़े स्तर पर करें, जिससे अधिक से अधिक ग्रामीण महिलाएं इससे जुड़कर आत्मनिर्भर बन सकें।

कविता ने बताया कि उन्होंने इस कार्य की शुरुआत फूलों की पौध तैयार कर की थी, लेकिन धीरे-धीरे औषधीय पौधों की ओर भी उनका रुझान बढ़ता गया। आज उनकी नर्सरी में रोजमैरी, अजवाइन, तुलसी, तेजपत्ता, वेलपत्री और एलोवेरा जैसे औषधीय पौधे बड़ी मात्रा में तैयार किये जा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न प्रजातियों के फूलों की पौध के साथ-साथ अब फलदार पौधों जैसे बेड़ू, अनार, लीची और आम की पौध तैयार करना भी शुरु कर दिया है। फूलों की मांग बढ़ने पर उन्होंने माला और गुलदस्ते तैयार करने का काम भी शुरू किया है, जिससे एक अन्य महिला को भी रोजगार मिला है। कविता वर्तमान में पांच महिलाओं को नर्सरी के काम से जोड़ चुकी हैं और आगे और महिलाओं को स्वरोजगार देने की योजना बना रही हैं।

कविता बताती हैं कि उन्हें हिमोत्थान से 25 हजार रुपये की सहायता, उद्यान विभाग से दो पॉलीहाउस और कृषि विभाग से घेरबाड़ की सुविधा प्राप्त हुई है। इन प्रयासों की बदौलत आज उनकी नर्सरी की पौध की मांग पौड़ी जनपद के साथ-साथ अन्य जिलों में भी लगातार बढ़ रही है। वह कहती हैं कि कोई भी कार्य कठिन नहीं होता, यदि मन में लगन और दिशा हो।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *