गढ़वाली भाषा साहित्य पर विचार विमर्श किया

मनोज नौडियाल
कोटद्वार।अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर गुरुवार को धाद संस्था की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान गढ़वाली साहित्यकार जगमोहन बिष्ट के साहित्य पर विचार विमर्श किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एसजीआरआर पैरामेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरीश उनियाल ने किया। उन्होंने कहा कि गढ़वाली में साहित्य का सृजन अपने आप में अनूठी उपलब्धि है। मौके पर वरिष्ठ गढ़वाली साहित्यकार जगमोहन बिष्ट के काव्य साहित्य धियाण की कैलाश विदै का अवलोकन करते हुए प्रो. डॉ. शोभा रावत ने कहा कि साहित्य का अध्ययन करने से पाठक को ऐसा लगता है कि पढ़ते समय वह भी यात्रा कर रहा है। यह लेखक की सबसे बडी खूबी है। डॉ. नन्दकिशोर ढौंडियाल ने कहा कि गढ़वाली गजल विधा पर वर्तमान में अच्छा काम हो रहा है। कार्यक्रम के दौरान मंगलम मंगल मंच शिब्बूनगर द्वारा नन्दा राजजात पर मनमोहक प्रस्तुति दी गई।

अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में संग पर केंद्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा न बातचीत करने पर गर्व होना चाहिए। इससे पूर्व संस्था के केन्द्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी के नेतृत्व में गढ़वाली भाषा को आठवीं अनुसूची में दर्ज करने हेतु प्रदेश सरकार को ज्ञापन प्रेषित किया गया। कार्यक्रम का संचालन रिद्धि भट्ट व राजेश खत्री ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में सोहन मैंदोला, मनोज घिल्डियाल, महेन्द्र जदली, पंकज ध्यानी, सरिता मैंदोला, विजय जुयाल, महेन्द्र ध्यानी, शान्ति अमोली, जागेश्वर जोशी आदि उपस्थित रहे।

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