मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर कोटद्वार की सड़कों में जन सैलाब

कोटद्वार।मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के नेतृत्व में मूल निवास व सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर कोटद्वार में एक विशाल रैली निकाली गई। इस दौरान पूर्व सैनिकों और महिलाओं ने जन-गीत सुनाकर उत्तराखंड आंदोलन की यादें ताजा कर दी। रविवार को देवी मंदिर से मुख्य मार्गों में होते हुए रैली मालवीय उद्यान में समाप्त हुई। उसके बाद आयोजित जनसभा में वक्ताओं ने कहा उत्तराखंड एकमात्र हिमालयी राज्य है, जहां राज्य के बाहर के लोग पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि भूमि, गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए खरीद सकते हैं और इसका सीधा असर पर्वतीय राज्य की संस्कृति, परंपरा, अस्मिता औरराज्य निर्माण के 23 साल बाद भी सरकारों ने जनता के साथ कुठाराघात किया है। अब राज्य की जनता को इस लड़ाई को लड़ने के लिए फिर से सड़कों पर आने की जरूरत है अगर प्रदेश में मूल निवास और मजबूत भू कानून लागू होता तो हल्द्वानी जैसी अप्रिय घटना नहीं होती। मूल निवास और मजबूत भूमि कानून कि अगला भी बाहरी तत्व के खिलाफ सबसे असरदार हथियार है।   लेख गढ़वाल मंडल के द्वार कोटद्वार से मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन का शंखनाद हो गया है और इसकी गूंज देहरादून से लेकर दिल्ली तक सुनाई देगी।

कोटदवार उत्तराखंड को चाहिए मूल निवास 1950 और सशक्त भू-कानून। इस मेहर रैली ने एक बार फिर से उत्तराखंड आंदोलन का याद को ताजा कर दिया।लगभग 30 साल पहले वर्ष 1994 में आरक्षण के आंदोलन से शुरू हुआ उत्तराखंड राज्य आंदोलन फिर से उत्तराखंड के मूल निवासियों के दिलों में आग बनकर धधकने लगा है।

आज जिस तरह का सैलाब कोटद्वार की सड़कों पर दिखा, उसने अलग राज्य के लिए  चिपको आंदोलन की याद को ताजा कर दिया। मूल निवास और सशक्त भू कानून को लेकर शुरू हुआ महा रैली ने आने वाले समय में क्या रूप लेती है यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि आज की महा रैली ने सरकार को यहां के मूल निवासियों की पीड़ा को समझने के लिए जरूर मजबूर कर देगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *