गोदाम्बरी नेगी
देख कजरारे नयन, साजन दिवाना हो गया।
लचकती देखी कमर ,यौवन दिवाना हो गया।।
रात सज धज बन वधू, जब आ गई है पूर्णिमा-
गोपियों के रास पर, मधुबन दिवाना हो गया।
बाँसुरी ने मुदित हो, छूए अधर गोपाल के-
राधिका के शीष लग,चंदन दिवाना हो गया।
पावस धरा पर झर झरर, झूमकर झरती रही-
देख सखियन झूलते, सावन दिवाना हो गया।
अलि मचाते धूम गाकर, विचरते हैं बाग में
रूप वसुधा का निहार, मदन दिवाना हो गया।।