ऊषा राणा
रूठ जाये गर ये जमी मुझसे
तो कोई शिकवा ना करना
आसमां में भी मिल जाये जगह
इतनी सी सब दुआ करना
लिखे होंगे जितने दिन हक़ में
बस वो सकून से बीत जाये
ताउम्र कौन रहा इस धरती पर
इस बात से क्या घबराएं
ना शहनशा रहा हमेशा यहाँ
ना फकीर ही कोई रह पाया
सबकी मंजिल एक ही है अंत
जो भी इस जहाँ में है आया
कोई चार दिन कोई अरसों
रहकर इस दुनियां से गया
जिसके नसीब में थे जितने दिन
वो उतने दिन तक ठहर गया
जिसने भेजा है इस जहाँ में
अब क्या शिकायत करें उससे
सकून भरी दे वो जिंदगी सबको
बस इतनी सी दुआ है रब से