गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के संस्थान नवाचार परिषद (आईआईसी) ने डॉ.अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र (डीएसीई) के संयुक्त तत्वाधान में आज चौरस परिसर में एक कर्टेन रेज़िंग कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम आगामी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2024 के पूर्वावलोकन के रूप में आयोजित किया गया था,जिसका आयोजन 30 नवंबर से 3 दिसंबर तक गुवाहाटी,असम में होगा। उक्त महोत्सव का उद्देश्य बच्चों से लेकर छात्र छात्राओं और आम जनता तक समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। आईआईसी-एचएनबीजीयू के अध्यक्ष डॉ.राम साहू ने इस कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रतिभागियों को आईआईएसएफ-2024 के उद्देश्य से परिचित कराया। उन्होंने राष्ट्रीय विकास में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया और बताया कि आईआईएसएफ जैसे कार्यक्रम सभी को विज्ञान सीखने,नवाचार करने और अपनी वैज्ञानिक विचारों को साझा करने के लिए बहुमूल्य अवसर प्रदान करते हैं। अपने संबोधन के बाद डॉ.आशीष बहुगुणा ने आईआईएसएफ-2024 पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें इसके उद्देश्यों और छात्रों व आम जनता के लिए उपलब्ध विभिन्न अवसरों को समझाया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विज्ञान संकाय के डीन प्रो.एस.सी.भट्ट ने छात्रों को भौतिकवाद के बजाय स्थायी मूल्यों को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया और कहा कि प्रकृति हमारी आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सकती है, लेकिन हमारी लालच को नहीं। उन्होंने अधिक प्राकृतिक जीवनशैली की ओर लौटने की वकालत की,जैसा कि हमारे पूर्वजों द्वारा अपनाया गया था और पारंपरिक प्रथाओं को अंधविश्वास के बजाय वैज्ञानिक रूप से अपनाने पर बल दिया। प्रो.भट्ट ने अपने तर्क को स्पष्ट करने के लिए प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स जैसे दैनिक जीवन के उदाहरण दिए, ताकि स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली को प्रेरित किया जा सके। अंबेडकर केंद्र के समन्वयक प्रो.एम.एम.सेमवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नागरिकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया,जो एक विकसित और सफल राष्ट्र की नींव है। उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(h) का उल्लेख किया, जो नागरिकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की सिफारिश करता है,उन्होंने वैज्ञानिकता को बढावा देने की वकालत की। विश्वविद्यालय के आरडीसी निदेशक प्रो.हेमवती नंदन ने विज्ञान महोत्सवों के समावेशी दृष्टिकोण के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सम्मेलन,संगोष्ठी जैसे कार्यक्रम किसी विशेष विषय पर सीमित दर्शकों के लिए होते हैं,जबकि विज्ञान महोत्सव सभी के लिए खुले होते हैं और सभी को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का निमंत्रण देते हैं। कार्यक्रम का समापन आईआईसी के उपाध्यक्ष डॉ.विनीत के.मौर्य के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ,जिन्होंने राष्ट्रीय प्रगति में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका को फिर से रेखांकित किया। उन्होंने उपस्थित लोगों को अपने आसपास की प्राकृतिक घटनाओं का अवलोकन करने और नवाचार और समृद्धि के लिए उनके वैज्ञानिक स्पष्टीकरण खोजने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में फैकल्टी सदस्य,जिनमें डॉ.विवेक शर्मा (संयोजक,आईआईसी-एचएनबीजीयू),डॉ.वरुण बर्थवाल,डॉ.रोहित महार,डॉ.भास्करन और अंबेडकर सेंटर के संकाय सदस्य डॉ.आशीष बहुगुणा,डॉ.प्रकाश सिंह और डॉ.प्रसन्ना मिश्रा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.आशीष बहुगुणा द्वारा किया गया।