त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और व्यवस्थित ढंग से सम्पन्न कराने को लेकर सोमवार को प्रेक्षागृह, पौड़ी में रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ), अस्सिटेंट रिटर्निंग ऑफिसर (एआरओ) और खंड विकास अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। इस मौके पर प्रशिक्षण नोडल अधिकारी दीपक रावत ने अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों की जानकारी दी। प्रशिक्षण में 11-11आरओ व एआरओ 11 और 13 खंड विकास अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
प्रशिक्षण में नोडल अधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को बताया कि मतदान अधिकारी को ग्राम पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान के लिए दो प्रकार के मतपत्र जारी करने होंगे। सफेद रंग का मतपत्र ग्राम पंचायत सदस्य के लिये और हरे रंग का मतपत्र ग्राम प्रधान के लिए निर्धारित है। वहीं क्षेत्र पंचायत के लिये नीला व जिला पंचायत के लिये गुलाबी रंग मतपत्र होगा। अधिकारी के पास चारों पदों हेतु मतपत्रों के अलग-अलग बंडल होंगे। कहा कि द्वितीय मतदान अधिकारी ग्राम प्रधान व ग्राम सदस्य व तृतीय मतदान अधिकारी जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के मतपत्र मतदाताओं को देंगे।उन्होंने यह भी कहा कि मतदान प्रक्रिया के दौरान अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता की अंगुली पर पहले से स्याही तो नहीं लगी है। इसके बाद मतदाता से मतपत्र के प्रतिपर्ण (काउंटरफॉइल) पर हस्ताक्षर कराना आवश्यक होगा। मतदाता सूची में दर्ज क्रमांक भी मतपत्र के रिकॉर्ड में अंकित किया जाएगा। फिर मतदाता को बूथ में जाकर मतपत्र पर मत अंकित करने व मतपेटी में डालने को कहा जायेगा।
प्रशिक्षण के दौरान ‘निविदत्त मतपत्र’ (टेंडर्ड बैलेट) से जुड़ी प्रक्रिया की भी जानकारी दी गयी। ऐसी स्थिति में जब कोई व्यक्ति मतदान के लिए आता है और उसी नाम से पहले कोई वोट डाल चुका होता है, तो उसे निविदत्त मतपत्र दिया जाएगा। इस विशेष मतपत्र पर पीठासीन अधिकारी अपने हस्ताक्षर के साथ निविदत्त मतपत्र लिखेगा और मतदाता द्वारा मतदान के बाद इसे निर्धारित लिफाफे में अलग से सुरक्षित रखा जाएगा। ऐसे मत पत्र मतपेटी में नहीं डाले जाएंगे। इनका रिकॉर्ड परिशिष्ट-12 में दर्ज किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक मतदान स्थल पर निविदत्त मतपत्रों के लिये मतपत्रों के अंतिम क्रमांक से मतदाता को मतपत्र प्रदान किया जाएगा, जिससे मतों की संख्या और पहचान में कोई गड़बड़ी न हो। इसके अलावा उन्होंने कहा कि किसी मतदाता की पहचान के बारे में किसी उम्मीदवार या उसके निर्वाचन/मतदान अभिकर्ता को कोई आपत्ति तब तक ग्रहण नहीं करनी चाहिए जब तक कि आपत्तिकर्ता नकद पाँच रूपये का भुगतान न कर दे। इस धनराशि का भुगतान कर दिये जाने के पश्चात आक्षेपकतों को निर्धारित प्रारूप – परिशिष्ट-10 में उसकी रसीद दे दें। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के बारे में आक्षेप किया गया है उस व्यक्ति को प्रतिरूपण के लिये दण्ड के बारे में चेतावनी दें कि ऐसा करना भारतीय न्याय संहिता की धारा-172 में दण्डनीय अपराध है।
इस अवसर पर प्राचार्य डायट स्वराज सिंह तोमर, अधिशासी अभियंता के एस नेगी, जिल समाज कल्याण अधिकारी रोहित सिंह, खंड विकास अधिकारी रवि सैनी, दृष्टि आनंद, सौरभ हांडा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।