मनोज नौडियाल
यूं तो उत्तराखण्ड में गांवों की स्थिति सुधारने, संवारने के लिए पृथक ग्रामीण विकास विभाग कार्य कर रहा है।इसके अन्तर्गत गांवों में ग्राम विकास अधिकारी,ग्राम पंचायत विकास अधिकारी व ग्राम पंचायत प्रधान आदि कयी अधिकारी, कर्मचारी नियुक्त किये गए हैं, लेकिन भ्रष्टाचार, घोटाले व भाई भतीजावाद के चलते गांवों का समग्र विकास नहीं हो पा रहा है।
ताजा उदाहरण ये है कि कयी पीढियों से प्रचलित यह पैदल मार्ग रिखणीखाल प्रखंड के दुर्गम गाँव नावेतल्ली से ग्राम गवाणा की ओर जा रहा है।जिसकी दूरी लगभग 02 किलोमीटर है तथा उतार-चढ़ाव का पैदल रास्ता है।ये 77 वर्षीय वृद्ध बलवंत सिंह रावत इस पैदल रास्ते से कंटीली झाड़ियों,पथरीली व ऊबड खाबड रास्ते से गुजर रहा है।साथ में उनके साथ उनका पुत्र व पुत्र वधु भी चल रहे हैं। ये लोग ग्राम गवाणा में किसी परिचित के शादी समारोह में शिरकत करने जा रहे हैं। इस पैदल मार्ग की स्थिति बद से बदतर हो रखी है।जगह-जगह ऊबड खाबड रास्ता व कंटीली झाड़ियां कपड़ों को फाड़ती जा रही हैं। ऐसा ही एक पैदल रास्ता और है जो इन चार पाँच गांवों से श्मशान घाट को जाता है।इसकी स्थिति भी इसी तरह है।मुर्दा फूंकना भी अब भारी पड़ रहा है।लोग इससे पार पाने के लिए मुर्दे को हरिद्वार ले जाना ही मुनासिब समझते हैं। क्या यही गाँव का विकास है?विकास खंड के अधिकारी व कर्मचारी कब चेतेंगे। ऐसे झाड़ीनुमा रास्तों पर जंगली जानवरों का भय बना रहता है।
क्या रिखणीखाल के खंड विकास अधिकारी व मातहत इस ओर ध्यान देगें