आत्मनिर्भर भारत का सपना विद्यार्थियों के कौशल,निरंतर परिश्रम और शुभसंकल्प से ही होगा साकार: डॉ.कविता भट्ट

रजंना गुसाई

कीर्तिनगर/श्रीनगर गढ़वाल। जीजीआईसी किलकिल्लेश्वर,टिहरी गढ़वाल में करियर काउंसलिंग,सीयूईटी ( कॉमन यूनिवर्सिटी एंटरेंस टेस्ट) और उच्च शिक्षा में दर्शनशास्त्र विषय को मुख्य विषय के रूप में चयनित करने के संबंध में कार्यशाला प्रधानाध्यापिका (कार्यवाहक) मंजू रावत की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
इस अवसर पर वरिष्ठ अध्यापिका
भुवनेश्वरी नेगी ने मुख्य वक्ता के रूप में साहित्य अकादमी पुरस्कृत प्रख्यात लेखिका डॉ.कविता भट्ट शैलपुत्री असिस्टेंट प्रोफेसर,दर्शनशास्त्र (फिलोसॉफी) विभाग हेमवंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय का स्वागत किया।


मुख्य वक्ता डॉ.कविता भट्ट ने अपने व्याख्यान में कहा कि विद्यार्थियों को अच्छे करियर के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। लक्ष्य पर एकाग्र होकर ध्यान केंद्रित करके, निरंतर निष्ठा और परिश्रम से अध्ययन करना ही आत्मनिर्भर होने हेतु रामबाण है। अपने पाठ्य क्रम में तय की गई मूल पुस्तकों का अध्ययन करने के साथ ही तर्कशास्त्र,नीतिशास्त्र,सामान्य ज्ञान,करेंट अफेयर्स इत्यादि का गहन अध्ययन करना प्राथमिक आवश्यकता है। विद्यार्थियों का उद्देश्य केवल परीक्षा में पास होना नहीं अपितु उन्हें अपने अच्छे करियर और आत्मनिर्भर होने के लिए गहनता के साथ अध्ययन करना चाहिए। साथ ही रचनाशीलता और अपने सकारात्मक शौक को भी समय देना चाहिए। जब शुभसंकल्प के लिए इस प्रकार समर्पित भाव से परिश्रम होगा तभी आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।
डॉ.भट्ट ने विद्यार्थियों को सीयूईटी का महत्त्व समझते हुए बताया कि यह एक ऐसी परीक्षा है जिसके माध्यम से गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का संकल्प लिया गया है।
इसलिए विद्यार्थियों को आवश्यक रूप से इसके लिए आवेदन करना चाहिए। इसकी अंतिम तिथि भी अब बढ़ा दी गई है अतः अतिशीघ्र यह आवेदन करके सभी विद्यार्थी हेमवंती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर को चयनित करके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में एकाग्रता,निरंतर परिश्रम और विशिष्ट कौशल की भी आवश्यकता होती है। क्योंकि प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा में तर्कशास्त्र और नीति शास्त्र का उपयोग है और ये दोनों विषय दर्शनशास्त्र (फिलोसॉफी) का ही अभिन्न भाग हैं; इसलिए दर्शनशास्त्र को उच्च शिक्षा में मुख्य विषय के रूप में पढ़ना चाहिए। साथ ही नई शिक्षा नीति में इंडियन नॉलेज सिस्टम अर्थात् भारतीय ज्ञान परंपरा को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया गया है और यह दर्शनशास्त्र के एक अनुभाग के रूप में है। इसके लिए भी दर्शनशास्त्र के अध्ययन से सुविधा रहती है। दर्शनशास्त्र संस्कृत और मनोविज्ञान जैसे विषयों का कॉम्बिनेशन अच्छा है। साथ ही समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान के साथ भी दर्शनशास्त्र का अच्छा कांबिनेशन है । इसलिए इन विषयों के साथ दर्शनशास्त्र को कोर सब्जेक्ट या एडीशनल सब्जेक्ट के रूप में भी लिया जा सकता है।
बायोलॉजी के विद्यार्थी जेड बी सी,माइक्रो बायोलॉजी,बायो केमिस्ट्री,बी फार्म,बायो इनफॉर्मेटिक्स और मेडिकल इत्यादि में अच्छा कर सकते हैं।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में कॉलेज की छात्राओं ने प्रतिभाग किया और मुख्य वक्ता डॉ.कविता भट्ट से प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा शांत की और ज्ञानवर्धन किया।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मंजू नेगी ने ऐसे ज्ञानवर्धक कार्यक्रम के बार बार आयोजन की आवश्यकता बताई।
इस अवसर पर अनुपम बहुगुणा,शकुन्तला चौहान,ज्योति प्रभाकर,आरती रावत पंवार,प्रियंका भट्ट,हंसी जोशी पाठक,मीना पोखरियाल,संगीता राणा और रेखा चौहान इत्यादि अध्यापिकाएं उपस्थित थीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *