गोदाम्बरी नेगी
राम को सुमिर मन,राम को ही भज मन,
राम नाम ही तो धन, जपिये जपाइए।
रघुवर का प्रताप, छूट जाएँ सब ताप,
सभी दूर हों प्रलाप, राम को बताइए।
अनाथों के हैं वो नाथ, छोड़ते नहीं हैं साथ,
सदा उन पे विश्वास, शरण में जाइए।
दया सिंधु हैं अपार, करें भक्तों का उद्धार,
किया दैत्यों का संहार, राम गुण गाइए।।1
राम मन उपवन, राम ही परम धन,
राम ही हैं घर वन, यहाँ – वहाँ पाइए।
दशरथ के वो लाल, नैन रुचिर विशाल,
सूरज समान भाल, दरस को जाइए।
बायें हैं जानकी मात,दायें हैं लखन भ्रात
आशीष देती हैं मात, आनंद मनाइए।
विनती राम से कीजे, सब पर कृपा कीजे
शीलता – संयम दीजे, राम-नाम ध्याइए।।2