स्वच्छता हम सभी की जिम्मेदारी,सूखा गीला कचरे को अलग रखें–मोहन लाल जैन                                                                                         

गबर सिंह भंडारी

श्रीनगर गढ़वाल। श्रीनगर नगर निगम के सहयोग से स्पेश सोसायटी के तत्वाधान में स्वच्छता की पाठशाला के तहत आज शहर के सरकारी कार्यालयों,होटलों व शहर के विभिन्न घरों में गीले कचरे से खाद्य तैयार कैसे की जा सकती है और सुख कूड़ा रिसाइकिल कैसे किया जाएगा। स्वच्छ भारत अभियान के तहत केंद्र व राज्य सरकार लोगों के घरों में सुखा और गीला कचरा अलग-अलग रखने का संदेश दे रही है। इस अवसर पर सबसे प्रथम होटल भी.जे.इन स्वच्छता के प्रति एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें श्रीनगर के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मोहनलाल जैन ने कहा कि स्वच्छता हम सभी की जिम्मेदारी है सूखा हुआ गीला कचरा को अलग-अलग रखें,शहर को स्वच्छ बनाना केवल नगर निगम या प्रशासन की जिम्मेदारी ही नहीं है हम सभी शहरवासियों की भी है,हर किसी को अपने स्तर से यथासंभव सहयोग देने के लिए आगे आना चाहिए, हमको किसी एक दूसरे के शुरुआत करने का इंतजार किए बिना अपने आप से शहर को स्वच्छ बनाने के काम करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति जिम्मेदारी से अपने घर से अपने घर से गले और सूखे कचरे को अलग-अलग चमकता शहर को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान देने की शुरुआत करें। इस अवसर पर समाजसेवी पी.बी.डोभाल ने बताया कि शहर को स्वच्छ बनाना बेहद जरूरी है हमें आज से ही अपने घर का कचरा अलग-अलग जमा करेंगें इसके साथ ही हर मोहल्ले के लोगों और दोस्तों के साथ मिलकर लोगों को भी गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा करने के लिए जागरूक करेंगे। गोष्ठी में स्पेस सोसायटी के निर्देशक मदन भारती ने स्वच्छता की पाठशाला के तहत गीले और सूखे कचरे के बारे में जरूरी जानकारी देते हुए बताया कि होटलों व घरों में गीला कचरा व सुखा कचरा पृथक-पृथक किया जाए क्योंकि जो मिक्स कूड़ा रहेगा तो ना उसे खाद्य बन पाएगी और ना ही रीसाइकिल हो पाएगा बल्कि वह कचरा हमारे शहर की सुंदरता को खत्म करेगा इसके लिए जरूरी है कि हम अपने घर के कचरे को इधर-उधर या किसी की खाली जमीन पर ना फेंके और ना ही उसमें आग लगाए ऐसा करने से धरती के अंदर का पानी प्रदूषित होता है और आग लगने से वायु प्रदूषण होता है। उन्होंने आगे बताया कि घरों से निकलने वाले गीले कचरे में ज्यादातर रसोई घरों में से निकलने वाली सब्जियां,फलों के छिलकों सहित ऐसा कचरा होता है जिसका निस्तारण जैविक तरीके से किया जाना संभव है। उन्हें बताया कि गीले कचरे में वे सभी चीजें आती हैं जो जैविक है और प्राकृतिक रूप से सड़ सकती हैं-जैसे कि खाद्य पदार्थ,सब्जियां,फलों के छिलके,बगीचे की

कटाई,टिशु,नैपकिन,अखबार और नोटबुक और सूखे कचरे में वे सभी चीजें आती हैं जो गैर-बायोडिग्रेडेबल है और प्राकृतिक रूप से बीघंटित नहीं हो सकती-जैसे की बोतलें,डिब्बे,कपड़े,प्लास्टिक,लकड़ी,कांच,धातु,कागज,नालीदार कार्डबोर्ड,स्टायरोफोम,और रबड़ आदि। “जो कूड़ा हमारे लिए सर दर्द हो,वह हमारे लिए काला सोना बन सकता है”। इस अवसर पर स्पेस सोसायटी की स्वाति नौटियाल ने स्वच्छता पाठशाला के तहत बताया गया कि सुखा कूड़ा व गीला कूड़ा अलग-अलग डालें,कूडादान का उपयोग कर शहर को साफ करने में सहयोग करें। डेंगू को भगाएं तभी तो स्वच्छ और स्वस्थ होगा उत्तराखंड। इस अवसर पर विजय राणा,उत्तम कपरवाण,मनोज कंडारी आदि लोग उपस्थित रहे।

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