गोदाम्बरी नेगी
चलो धीमे कि सुंदर से, नजारे टूट जाते हैं,
लगी ठोकर फिसलकर के, पिटारे टूट जाते हैं।
अकेले हो रखो आशा, निराशा से बनेगा क्या,
निरंतर कुछ करोगे तो, सितारे टूट जाते हैं।
गरीबों को सहारा दो, इशारा नेक प्यारा दो,
बिना मजबूत बंधों के, पनारे टूट जाते हैं।
रखो व्यवहार कोमल तुम, सदा सम्मान दो सबको,
बुरे आचार के कारण, हमारे टूट जाते हैं।
बुराई की बुरी लत से, रखो तुम दूर अपने को,
अधिक पानी बरसने से, किनारे टूट जाते हैं।