आर्य समाज कोटद्वार के सभागार में ट्रस्ट की रजत जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया

कोटद्वार विश्वम्भर दयाल मुनि विश्वकर्मा ट्रस्ट (पंजीकृत) कोटद्वार के तत्वावधान में आर्य समाज कोटद्वार के सभागार में ट्रस्ट की रजत जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, सभा की अध्यक्षता श्रीमती लक्ष्मी देवी ने व संचालन ट्रस्ट के संस्थापक सचिव सुरेन्द्र लाल आर्य ‘सर्वोदई पुरूष’ व श्री जनार्दन बुडाकोटी ने संयुक्त रूप से किया । प्रोफेसर नन्दकिशोर ढोंडियाल, लक्ष्मी देवी,चक्रधर शर्मा ‘कमलेश ‘ जानकी प्रसाद धस्माना, पूरण चंद्र शर्मा व डॉ.मनोरमा ढोंडियाल आदि द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया व मुनि जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए ।
इस अवसर पर महर्षि दयानंद सरस्वती के अनुयायी मुनि जी के जीवन दर्शन पर प्रोफेसर नन्दकिशोर ढोंडियाल “अरुण” डी.लिट् द्वारा लिखित पुस्तक दानबीर विश्वम्भर दयाल मुनि विश्वकर्मा ब्यक्तित्व एवम कृतित्व का विमोचन किया गया , पुस्तक की समीक्षा श्री चंद्र प्रकाश नैथानी ने की ।कार्यक्रम में डॉ. नन्दकिशोर ढोंडियाल ‘अरुण ‘ को साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान, चक्रधर शर्मा ‘कमलेश’ को सांगठनिक ऊर्जा के श्रोत व श्री अनुसूया प्रसाद डंगवाल ‘सरस ‘ को चित्रकार, नाटककार व साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दानवीर विश्वम्भर दयाल मुनि विश्वकर्मा समृति सम्मान  2022 से सम्मानित किया गया । सम्मान स्वरूप पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह व सामान पत्र भेंट किये गए ।सभा को संबोधित करते हुए डॉ. नंदकिशोर ढोंडियाल ‘अरुण ‘ ने कहा कि मुनि जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे वे जीवन भर दीन दुखियों की सेवा करते रहे व जीवन के अंतिम पड़ाव में अपना सर्वस्व न्योछावर कर निर्धन छात्र/ छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करने व अनाथ, विकलांग, बेसहारों को सहायता प्रदान करने हेतु अपनी निजी पूंजी से विश्वम्भर दयाल मुनि विश्वकर्मा ट्रस्ट (पंजीकृत) पदमपुर सुखरौ कोटद्वार की स्थापना कर गए, समाज मे ऐसे दानी महापुरुष कम ही होते हैं ।विशिष्ट अतिथि श्री जानकी प्रसाद धस्माना ने कहा कि मुनि जी चाहते थे कि धन के अभाव में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे । पूरण चंद्र शर्मा ने कहा कि मुनि जी शिक्षा विभाग में सुपरवाइज़र थे जिससे वे शिक्षा के महत्व को बारीकी से समझते थे।मुख्य अतिथि डॉ. मनोरमा ढोंडियाल ट्रस्टी  आर्य गिरधारी लाल महर्षि दयानंद ट्रस्ट कोटद्वार ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों की रोशनी में स्वतंत्रता संग्राम ने नई करवट ली व देश मे समता, सम्मान व स्वभिमान की स्थापना उनका लक्ष्य बन गया था ,स्वामी जी के विचारों से मुनि जी अत्यधिक प्रभावित थे, जिन्होंने शिक्षा के द्वार सबके लिए खोले । ट्रस्ट की अध्यक्षा श्रीमती लक्ष्मी देवी ने कहा कि मुनि जी जीवन भर समाज के लिए जिये ,उनके द्वारा स्थापित ट्रस्ट अपनी रजत जयंती समारोह मना रहा है ।सभा को साहित्यांच्ल के अध्यक्ष जनार्दन बुडाकोटी, डॉ. नागेंद्र ध्यानी, डॉ. आर के सिंह,आनंद प्रकाश आर्य,महेंद्र कुमार अग्रवाल ,सत्यप्रकाश थपलियाल, वरिष्ठ नागरिक संगठन के अध्यक्ष कैप्टन पी एल खंतवाल,एडवोकेट भानु प्रकाश बलोदी, सुरेन्द्रलाल आर्य आदि ने संबोधित किया ।कार्यक्रम में धीरजधर बछवान, मीना बाछुवान , सुदीप बौंठियाल, कैलास बहुखंडी “जीवन”,अमेरिका सिंह,बीरेन्द्र देवरानी,दीपक जदली, विजय लखेड़ा, मोहन सिंह भारती, मुकेश कुमार,शशि भूषण अमोली, बचन सिंह गुसाईं आदि मौजूद रहे ।

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