जनपद में हरेला पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर ”एक पेड़ मां के नाम” कार्यक्रम के तहत जज कोर्ट के समीप विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण किया गया। इससे पूर्व कंडोलिया पार्क में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान द्वारा वनाग्नि न्यूनीकरण व मानव वन्य जीव संघर्ष में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 10 वन पंचायत सरपंचों सहित 14 विभागीय कार्मिकों को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। वहीं वनाग्नि को रोकने में अपनी जान गवाने वाले वन कर्मियों के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
हरेला पर्व के अवसर पर जिलाधिकारी द्वारा देवदार का पौधा रोपा गया। इसके अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी व जनप्रतिनिधियों द्वारा भी विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपे गए। इस दौरान महिला समूह द्वारा हरेला गीत गाकर पौधों को बचाने का संदेश दिया गया।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा, “हरेला पर्व हमें प्रकृति और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। हमने आज जो पौधे रोपे हैं, उनकी देखभाल करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। पौधों की सही देखभाल और संरक्षण से ही हम अपने पर्यावरण को हरा-भरा और स्वस्थ बना सकते हैं। कहा कि देवभूमि उत्तराखंड अपने धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के लिए विख्यात है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता आकर्षण को आकर्षित करती है। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। हमें अपने जल संरक्षण, नदियों और गदेरों के पुनर्जीवन और संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि जनपद मुख्यालय के अलावा समस्त विकासखंडों, तहसीलों व ग्राम पंचायतों में भी पौधे रोपे गए हैं। कहा कि यह कार्यक्रम 16 जुलाई से 15 अगस्त तक चलता रहेगा। कहा कि इस बीच 03 लाख 85 हजार पौध रोपण का लक्ष्य रखा गया है। कहा कि नदी, गाड़, गदेरों सहित अन्य जगह पर भी वृक्षारोपण किया जाएगा। उन्होंने सभी विभागों को लगाए गए पौधों को सुरक्षित करने के लिए भी प्रयास करने को कहा तथा बीच-बीच में पौधों की देखभाल भी करते रहें। जिलाधिकारी ने वन विभाग को पौधों की सुरक्षा के लिए ट्रीगार्ड तथा घेरबाड की व्यवस्था करने को कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां मोटर मार्गो पर भूस्खलन के संभावना बनी रहती है उन जगहों पर भी वृक्षारोपण किया जाएगा।
इसके उपरांत जिलाधिकारी ने स्थानीय लोगों के साथ संभागीय परिवहन कार्यालय के समीप विभिन्न प्रजाति के फूलों का रोपण भी किया। गढ़वाल डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने कहा कि हरेला पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। हमें इसे न केवल धूमधाम से मनाना चाहिए, बल्कि इस पर्व के महत्व को समझते हुए पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन पौधों का रोपण किया गया है उनको सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने आमजनमानस से अपील करते हुए कहा कि सावन माह में अधिक से अधिक पौधरोपण अवश्य करें।
इस आयोजन में विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों, और जनप्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की और पौधारोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपित किए गए जिनमें फलदार, छायादार और औषधीय पौधे शामिल थे। सभी ने पौधों की देखभाल और संरक्षण का संकल्प लिया। हरेला पर्व के इस सफल आयोजन में जनपदवासियों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।
हरेला पर्व के अवसर पर प्रशिक्षु आईएएस दीक्षिका जोशी, डीएफओ सिविल एवं सोयम प्रदीप कुमार धोलाकंड़ी, जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, अर्थ एवं संख्याधिकारी राम सलोने, खनन अधिकारी रवि नेगी, आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी केएस नपलचयाल, एसडीओ वन विभाग लक्की शाह, रेंजर भूपेंद्र रावत, दिनेश नौटियाल, ललित मोहन नेगी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी व जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।