देहरादून के न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया

देहरादून, बाह्य न्यायालय ऋषिकेश, एवं विकासनगर जनपद देहरादून के न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में मोटर दुर्घटना क्लेम, सिविल मामले, पारिवारिक मामलें, चैक बाउन्स से सम्बंधित मामलें व अन्य शमनीय प्रकृति के आपराधिक मामलें लगाये गये थे। लोक अदालत में संदर्भित मामलों के निस्तारण हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा कुल 10 पीठों का गठन किया गया था। इस लोक अदालत में शमनीय प्रकृति के 71 मामलें, चैक सम्बंधी 267 मामलें, धन वसूली सम्बंधी 01 मामला, मोटर दुर्घटना क्लेम ट्राईबुनल के 17 मामलें, पारिवारिक विवाद सम्बंधी 71 मामलें, मोटर वाहन संबंधी अपराधों के 1398 मामलें एवं अन्य सिविल प्रकृति के 57 मामलें, श्रम विवाद के 2 मामले कुल 1884 मुकदमों का निस्तारण किया गया तथा 88218172/- रू० की धनराशि पर समझौता हुआ। उक्त लोक अदालत में श्री महेश चन्द्र कौशिवा, द्वितीय अपर जिला एवं सेशन जज, देहरादून की पीठ द्वारा 50 मामलें, श्री अमित कुमार, चतुर्थ अपर सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग) की पीठ द्वारा 27 मामलें, श्री विवेक शर्मा, द्वितीय अपर सिविल जज (कनिष्ठ प्रभाग), देहरादून की पीठ द्वारा 79 मामलें, श्री लक्ष्मण सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून की पीठ द्वारा 612 मामलें, श्री संदीप सिंह भंडारी, द्वितीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्टेट, देहरादून की पीठ द्वारा 284 मामलें, श्रीमती ममता पंत पंचम अपर सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग) देहरादून की पीठ द्वारा 252 मामलें, श्रीमती सुमन, अष्टम अपर सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग), देहरादून की पीठ द्वारा 217 मामलें, श्री आर० के० खुल्बे, प्रधान कुटुम्ब न्यायाधीश, देहरादून की पीठ द्वारा 59 मामलें निस्तारित किये गये। साथ ही बाह्य न्यायालय ऋषिकेश में सुश्री नंदिता काला, न्यायिक मजिस्ट्रेट, ऋषिकेश की पीठ द्वारा 108 मामलें, श्री विवेक कुमार, न्यायिक मजिस्ट्रेट, विकासनगर की पीठ द्वारा 198 मामलें निस्तारित किये गये। इस लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के 3383 मामलों का निस्तारण हुआ तथा रू0 13835463/- रू0 की धनराशि के सम्बंध में आपसी समझौते किये गये। सचिव/सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग), जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा अवगत कराया कि लोक अदालतें सरल व त्वरित न्याय प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम है, लोक अदालतों में पक्षकार आपसी समझौते के आधार पर मामले का निस्तारण कराते हैं, ऐसे आदेश अंतिम होते हैं तथा पक्षकारों को उनके द्वारा दिया गया न्यायशुल्क भी वापस कर दिया जाता है।

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