मनोज नौडियाल
कोटद्वार।वनाग्नी (जंगल की आग) एक वैश्विक चिंता बन गई है क्योंकि वन में रहने वाले जीवों के साथ-साथ लोगों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ता है। जंगल की आग के कारण हवा में मिलने वाली जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड से मनुष्य में फेफड़े और त्वचा में भी संक्रमण भी होता है जंगलों में लगने वाली आग से अत्यधिक मात्रा में धुंआ और जहरीली गैस निकलती है, जिससे वातावरण प्रदुषित होता है और मनुष्य में स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण समस्याएं पैदी करती है।कोटद्वार से सटे कण्वाश्रम समीप शिवालिक रेंज की पहाड़ियां और जंगल आजकल आग से धधक रही है। जिससे कोटद्वार के समीपवर्ती भाबर का तापमान भी अचानक बढ़ गया है और असहाय जंगली जानवर पशु पक्षी भी इसकी चपेट में आ गए है। भयानक आग लगने के कारण जीव-जंतु व वन संपदा का काफी नुकसान हुआ है हालांकि दिन के समय धूप निकलने के कारण धुएं की धुंध में काफी कमी देखी जाती है, परंतु रात होते ही हर तरफ धुएं का गुबार-सा छा जाता है। जंगलों में लगातार आग लगने से पशु-पक्षियों का बसेरा उजड़ रहा है।
ज्ञात रहे कि इन दिनों क्षेत्रीय जंगलों में खरगोश, सूअर, सींडा, लोमड़ी, पहाड़ा, पिज्जड़, गूंद बारहसिघा और तेंदुए के अलावा जंगली मुर्गा, मोर, कोलसा, तीतर, बटेर आदि पशु-पक्षी जो रात में अक्सर दिखाई देते हैं, वे बहुत ज्यादा संख्या में पल रहे हैं। जंगलों में लग रही आग से इन पशु पक्षियों का बहुत ज्यादा नुकसान होता है।