कोटद्वाररविवार को धार्मिक आस्था का केन्द्र श्री सिद्धबलि बाबा महोत्सव के अंतिम दिन बाबा सिद्धबलि के जागरों से सिंद्धों का डांडा गुजायमान हो गया। जागरों एवं पारम्परिक बाद्ययंत्र डौर थाली की धुन पर देवताओं के पश्वा अवतरित हुए।इस दौरान सिद्धबलि मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी संख्या में भीड देखने को मिली। वहीं मंदिर समिति के द्वारा सवामन का रोट भी आकर्षण का केन्द्र रहा, सवामन के रोट के प्रसाद को श्रद्धालुओं में वितरित किया गया।
श्री सिद्धबलि धाम में तीन दिवसीय सिद्धबलि बाबा महोत्सव में प्रथम दिन पिंडी महाभिषेक सहित कुंडीय यज, बाबा की भव्य झांकी के साथ ही गढवाली भजन संध्या का आयोजन किया गया था, महोत्सव के अंतिम दिन बाबा सिद्धबलि के जागरों के साथ उत्तराखंड के समस्त देवी देवताओं के जागरों के धुनों पर देवताओं के पश्वा अवतरित हुए। वहीं शिव पार्वती की मन मोहक झांकियों के बीच भजन गायक कैलाश अनुज ने आओं भक्तों राम कीर्तन मिलकर गाये। इस दौरान सिद्धबलि मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी संख्या में भीड देखने को मिली। इस मौके पर मंदिर में विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया, जहां लोगों ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर पुण्य का लाभ कमाया।