स्वर्गीय डॉ. भक्तदर्शन की 31 वीं पुण्यतिथि पर उनका भावपूर्ण स्मरण कर उन्हें भावभीनी की गई श्रद्धांजलि अर्पित

कोटद्वार — आर्य गिरधारी लाल महर्षि दयानंद ट्रस्ट (पंजीकृत) कोटद्वार की एक बैठक हिमाद्रि प्रकाशन, निकट गढ़वाली टँकी ध्रुव पुर में हुई, जिसमे गांधीवादी, पूर्व सांसद गढ़वाल , राजनीति के संत एवम आदर्श स्वर्गीय डॉ. भक्तदर्शन की 31 वीं पुण्यतिथि पर उनका भावपूर्ण स्मरण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर नन्दकिशोर ढोंडियाल ” अरुण” डी.लिट् ने व संचालन ट्रस्ट के सचिव कैप्टन पी एल खंतवाल (से.नि.) ने किया ।
वरिष्ठ साहित्यकार वयोवृध श्री चक्रधर शर्मा ” कमलेश” ने कहा कि डॉ भक्तदर्शन जी आर्य समाजी थे, 4 बार गढ़वाल से सांसद रहे व 2 बार केंद्रीय मंत्री रहे, अनेकों संसदीय समितियों के सदस्य रहे ,किन्तु उनकी सरलता, सादगी, पारदर्शिता उनके मूल्य थे, फ़िज़ूलखर्ची व दिखावे से हमेशा दूर रहे।
वरिष्ठ समाजसेवी श्री सत्यप्रकाश थपलियाल ने कहा कि ऐसे सिद्धांत वादी लोग अब राजनीति में अमूमन मिलते नही हैं, डॉ भक्तदर्शन जी
सांसद रहते हुए भी जीवन भर किराये के मकानों में रहे जीवन की अंतिम सांस भी उन्होने देहरादून में किराये के मकान में ली , वे रोडवेज की बसों में सफर करते थे बाद में जीएमओयू ने उन्हे अपनी बसों में सफर करने का न्योता भी दिया ।
सभा की अध्यक्षता करते हुए डॉ. नन्दकिशोर ढोंडियाल ” अरुण” ने कहा कि डॉ. भक्तदर्शन जी उच्चकोटि के साहित्यकार ,पत्रकार एवं चिंतक थे, *कर्मभूमि* का प्रकाशन गढवाल की एक ऐतिहासिक घटना थी स्वर्गीय भैरव दत्त धूलिया के सहयोग से सन 1939 में इस साप्ताहिक पत्र का संपादन आरम्भ किया, 19 फरवरी 1939 को बसन्त पंचमी के दिन इसके प्रथम अंक का विमोचन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन प्रीमियर प. गोविंद बल्लभ पंत ने किया , वे राजनैतिक दांव पेंचों और छद्म राजनीति से सदैव दूर रहे । भक्त जी सशक्त लेखक थे,उनकी भाषा अत्यंत सरल और बोधगम्य रही, उनकी लिखी पुस्तकें गढ़वाल की चिरस्मरणीय निधि है, गढ़वाल की दिवंगत विभूतियां, सुमन स्मृति ग्रन्थ, कलाविद मुकुन्दीलाल बैरिस्टर स्मृति ग्रन्थ और स्वामी रामतीर्थ सम्बन्धी प्रकाशन उनकी कालजयी कृतियाँ तथा ललित निबन्ध हैं ।
साहित्यांच्ल के अध्यक्ष श्री जनार्दन बुडाकोटी ने कहा कि भक्तदर्शन जी ने एक स्कूटर तक नही खरीदा जिससे उनके मूल्यों, आदर्शो , सोच व उनके ब्यक्तित्व व कृतित्व को आसानी से समझा जा सकता है व वर्तमान राजनीतिज्ञों के लिये उनका जीवन एक संदेश है ।
सभा मे ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेन्द्र लाल आर्य, डॉ.मनोरमा ढोंडियाल, डॉ दिवाकर बेबनी, श्री चंद्रप्रकाश नैथानी, कैप्टन पीएल खंतवाल, शूरबीर खेतवाल, श्री जनार्दन बुडाकोटी, श्री सत्यप्रकाश थपलियाल आदि मौजूद थे।

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